रामायण का यह प्रसंग आपकी जिंदगी बदल देगा - कभी नहीं सुना होगा


आज बहुत से लोग सोचते हैं, "अगर मैं वहां नहीं होता तो क्या होता?" लेकिन Ramayana रामायण के इस एक प्रसंग से आज हर किसी को ये एहसास हो जाएगा कि, "अगर हम न होते तो क्या होता?" हमारा आज का आर्टिकल हर किसी के जीवन में एक नया संदेश देता है। तो इस आर्टिकल को अंत तक पढ़ें और कमेंट करके हमें बताएं।

Ramayana prasang

अशोक वाटिका में जब Ravan रावण क्रोधित होकर अपनी तलवार लेकर माता Sita सीता को मारने के लिए दौड़ा तो Hanuman हनुमान को लगा कि उन्हें रावण से तलवार छीन लेनी चाहिए और उसका गला काट देना चाहिए। लेकिन उसी समय मंदोदरी ने रावण का हाथ पकड़ लिया। यह दृश्य देखकर हनुमानजी आश्चर्यचकित हो गये। लेकिन हनुमानजी सोचने लगे, "अगर मैं सीताजी को बचाने के लिए आगे बढ़ता तो मुझे यह भ्रम होता कि अगर मैं ऐसा नहीं करता तो आज माता सीता का क्या होता?" उन्हें बचाने के लिए कौन आगे आएगा?” तो इसी तरह हमें भी अक्सर यह भ्रम रहता है कि अगर मैं न होता तो क्या होता?

लेकिन फिर ऐसा हुआ कि भगवान ने सीताजी को बचाने का काम रावण की पत्नी मंदोदरी को सौंपा। तब हनुमानजी को समझ आ गया कि, 'भगवान जो काम कराना चाहते हैं, वह उनसे ही होता है।' ईश्वर की इच्छा के बिना कुछ नहीं होता।

रास्ते में त्रिजटा ने रावण से कहा, 'एक वानर लंका में घुस आया है और लंका को जलाने जा रहा है।' तब हनुमानजी चिंतित हो गये और सोचने लगे, “प्रभु ने मुझे लंका जलाने के लिये नहीं कहा था। फिर यह त्रिजटा क्यों कहता है, मैंने एक सपना देखा है और उसमें एक बंदर लंका जला रहा है। तो अब मुझे क्या करना चाहिए? तब हनुमानजी कहते हैं जैसे ईश्वर की इच्छा।

जब रावण के सैनिक तलवारें लेकर हनुमानजी को मारने दौड़े तो हनुमानजी ने अपनी रक्षा का कोई प्रयास नहीं किया। लेकिन उसी समय विभीषण वहां आये और कहने लगे कि देवदूत को मारना अधर्म है। फिर भी हनुमानजी समझ गये कि प्रभु ने मुझे बचाने के लिये यह उपाय किया है।

हनुमानजी को तब बड़ा आश्चर्य हुआ जब रावण ने कहा कि इस वानर को मारना नहीं चाहिए बल्कि उसके कहने पर इसमें कपड़ा बांधकर, घी डालकर आग लगा दो। तब हनुमानजी सोचने लगे कि त्रिजटा का स्वप्न सत्य है। क्योंकि लंका जलाने के लिए कपड़ा और घी कहाँ से लाऊँ? और आग किसी तरह जलाई गई? लेकिन भगवान ने ये सारी तैयारी रावण के साथ की थी। तब हनुमानजी कहते हैं जब तुमने रावण के साथ भी ऐसा किया है तो मुझे कोई घमंड नहीं है। तब हनुमानजी को भी एहसास होता है कि हमारे बिना भी सब कुछ संभव है। हम बस होने के लिए बने हैं।

इसलिए हमेशा याद रखें कि इस दुनिया में जो कुछ भी होता है, वह क्रमबद्ध होता है। आप और मैं तो इसके नाम मात्र के पात्र हैं। इसलिए मनुष्य को कभी भी इस भ्रम में नहीं रहना चाहिए कि, "मैं न होता तो क्या होता?" यदि हम उस स्थान पर नहीं हैं तो ईश्वर उसके स्थान पर किसी अन्य पात्र को नियुक्त कर देगा।

लेकिन अक्सर ऐसा होता है कि लोग अपने बच्चों को घर पर अकेला छोड़कर बाहर चले जाते हैं। लेकिन वहां वह अपने बच्चों के लिए चिंता व्यक्त कर रहे हैं कि मैं घर पर नहीं हूं! मेरे बच्चों का क्या होगा? लड़का क्या खाएगा? लेकिन लोगों को ऐसा लग रहा है। बाकी बच्चे मजे से पानीपुरी खा रहे हैं और मजे कर रहे हैं। इसलिए हमें जीवन में यह याद रखने की आवश्यकता है कि, "यदि हम किसी स्थान या स्थिति में नहीं हैं तो क्या होगा?" लेकिन फिर भगवान को जो करना है वह करना ही होगा। तो चिंता मत करो जय श्री राम।


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rashi par thi jano patner no nature


Note :

किसी भी हेल्थ टिप्स को अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह अवश्य ले. क्योकि आपके शरीर के अनुसार क्या उचित है या कितना उचित है वो आपके डॉक्टर के अलावा कोई बेहतर नहीं जानता


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